SSC Protest: कैसे हो यार तुम लोग? परेशान ही होगे तो बहुत ज्यादा पूछने पांछने की जरूरत है नहीं। SSC को लेकर धरना प्रदर्शन होता है 31 जुलाई को, दिल्ली में। बहुत सारे मास्टर दिल्ली में रहते हैं। वो लोग भी पहुंचते हैं। बहुत सारे टीचर्स 1000 किलोमीटर दूर से, 500 किलोमीटर दूर से दिल्ली आते हैं धरना प्रदर्शन करने।
SSC Protest की जरुरत क्यों
धरना प्रदर्शन करने की जरूरत क्या थी, पहले इस बात को समझ लेते हैं। क्या हुआ आज के दिन ये पूरी कहानी सुनेंगे। धरना इस वजह से किया जा रहा है क्योंकि एसएससी का एग्जाम चार पांच साल से TCSC कंडक्ट कराती थी। बहुत स्मूथली पेपर होता था।
रिजल्ट आ जाता था आंसर की और पूरा प्रोसेस जो था वो बहुत आराम से होता था। एसएससी का एक न्यू वेंडर आता है एडेक्विटी करके। उसका नाम है ऐसा है कि वह डी के बाद आई लग रहा है कि डी के बाद यू लग रहा है। समझ हम नहीं आ रहा है तो सोचो उसका काम कैसा होगा?
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तो उसने काम भी अपना दिखाया। एसएससी सिलेक्शन पोस्ट फेज थर्टीन का पेपर होता है। पेपर में वो तीन-तीन चर्चिल टू प्रिफरेंस भरवाता है। तीन-तीन चर्चिल प्रिफरेंस भरवाने के बाद वो दे देता है अपने मन से सेंटर, वह भी 5500, 6800, 9000, हजार हजार किलोमीटर दूर।
लड़के परेशान होकर जाते हैं तो कुछ सेंटर पर पता चलता है टेक्निकल ग्लिच है, आज पेपर नहीं हो पाएगा। कुछ सेंटर पर पता चलता है कि माउस नहीं चल रहा है। कुछ सेंटर पर पता चल रहा है कि सर्वर नहीं चल रहा है। कुछ सेंटर पर लड़कों को मार दिया जाता है, हाथापाई की जाती है, मारपीट होती है। सब कुछ होता है। कुछ सेंटर पर पता चलता है, 11:00 बजे पेपर हो रहा है, रात में।
अलग ही सिस्टम चल रहा। इन सब चीजों को लेकर टीचर्स भी गुस्से में रहते हैं। स्टूडेंट भी गुस्से में रहते हैं क्योंकि आगे आने वाले समय में स्टेनो का पेपर है। उसकी डेट आ गई है। सीजीएल का पेपर है उसकी भी डेट आई हुई है। उसका एडमिट कार्ड आएगा।
बहुत सारे पेपर उसके सीएचएसएल, एमटीएस सब होने वाले हैं। तो लड़कों के अंदर एक डर बैठ गया है कि यार जब मैं इतनी मेहनत से पढ़ रहा हूं, जब मुझको एसएससी में सरकारी नौकरी चाहिए …और जिस तरह के हालात पैदा हो गए हैं तो मुझे सरकारी नौकरी जिंदगी में नहीं मिल पाएगी या मिल भी जाएगी तो अन्सरटेनिटी है ना कि मुझको मेहनत से ही मिलेगी या मेरी किस्मत से मिलेगी ये नहीं पता है।
SSC Protest की मांग
मतलब मैं बहुत ज्यादा मेहनती लड़का हूं। 15-15, 16-16 घंटे पढ़ के गया। मेरा प्रीमियम 160-70 आ रहा है। भाई मैं गया मेरा माउस है नहीं चल रहा है। क्या कर लूंगा मैं, टैलेंट कहां है? …इन सब घटनाओं को लेकर आंदोलन होता है 31 जुलाई को। आंदोलन में ये रहता है कि डीओपीटी जाया जाएगा।
डीओपीटी में मिनिस्टर साहब से मिला जाएगा। वहां बातचीत की जाएगी, अपनी बात रखी जाएगी। बहुत सारे टीचर्स पहुंचते हैं, स्टूडेंट भी पहुंचे रहते हैं। सब लोग अलग-अलग जगह खड़े रहते हैं, दूर-दूर क्योंकि पुलिस उस एरिया में बहुत ज्यादा सेंसिटिव रहती है और सबको थोड़ा बहुत अंदर से डर भी रहता है।

तो कोई 500 मीटर दूर खड़ा है, कोई यहां और बहुत सारे टीचर एक पूरा अपना लॉबी बना के जाते हैं, अपनी बात रखते हैं, बात रखते, रखते कब वो डिटेन हो जाते हैं, कब उनको बस में भर कर कहां ले जाया जाता है, पता ही नहीं चलता।
बहुत सारे टीचर्स का हार्ट टूट गया है तो किसी को चोट लग गई है तो किसी को अलग-अलग दिक्कतें आती हैं। एक तरह की कहानी एक जगह खत्म होती है। वो बस में ले जाए जा रहे हैं। कहां ले जाए जा रहे हैं, किस हालात में ले जाए जा रहे हैं, ये सब उनके लाइव से पता चल पाता है लेकिन उनको भी ये नहीं पता होता कि हम कहां जा रहे हैं। कुछ लोग पहुंच जाते हैं सीजीओ कॉम्प्लेक्स। सीजीओ कॉम्प्लेक्स के बाहर भीड़ इकट्ठा हो जाती है। वहां पर भी बातचीत होती है। क्या बातचीत होती है, किसी को पता नहीं चल पाता है।
SSC Protest जंतर मंतर से
उसके बाद सीजीओ कॉम्प्लेक्स कुछ लोग रहते हैं और इधर से जंतर मंतर पर कुछ लोग पहुंच जाते हैं। क्योंकि जंतर मंतर समझ लो उत्तर प्रदेश का इको गार्डन है, जहां धरना करने पहुंच जाओ तो कोई बहुत ज्यादा मारपीट नहीं करेगा।
वहां पर जब धरना देने पहुंचते हैं लोग, वहां पर सीजीओ कॉम्प्लेक्स वाले लोग भी धीरे-धीरे पहुंचते हैं और भीड़ अच्छी खासी इकट्ठा हो जाती है और वहां पर लोग अपनी बात रखना स्टार्ट करते हैं कि हम किस लिए यहां पर धरना देने आए हैं और किस लिए हमको ये करने की जरूरत पड़ी।
यार एक लड़का है, वो सरकारी नौकरी करना चाहता है। उसकी सरकारी नौकरी की जो प्रक्रिया है उसमें… पारदर्शिता नहीं है, उसमें सुचारिता नहीं है, उसमें स्मूथनेस नहीं है। बस वही वो सही करना चाहता है। उसको कोई नेता बनने का शौक नहीं है।
कोई उसको बहुत क्रांतिकारी बनने का शौक नहीं है। कुछ नहीं शौक है यार उसको। वो गरीब परिवार का लड़का है जिसको बस एक तो नौकरी चाहिए ताकि उसकी आने वाली पुश्तें जो है या उसकी जो वर्तमान या आने वाले हालात हैं वो थोड़ा सुधर जाए। वो बेटरमेंट की तरफ जाना चाह रहा है।
इससे ज्यादा का और क्या शौक रखेगा वो और उससे क्या करवाया जा रहा है। उससे नारा लगवाया जा रहा है। उससे धरना प्रदर्शन के लिए क्यों उसको जरूरत पड़ी? किसको शौक लगा धरना प्रदर्शन करने का? किसको शौक लगा दिल्ली आने का? किसको शौक लगा भीड़ लगाने का? किसी को इन सब चीजों का शौक नहीं है। सबको पढ़ना है यार। सबको नौकरी लेनी है।
SSC Protest कहाँ-कहाँ से लोग आये
सब अपने-अपने घर से कोई ये नहीं कहता उसके घर वाले जाओ धरना क्या हो। जाओ यहां पर नारा लगाओ कोई नहीं कहता। कोई नहीं कहता जाओ लाठीचार्ज होगा, दो लाठी खाके आना बेटा बहुत अच्छा लगेगा। एकदम बेस्ट ऑफ लक। घर वाले जो लड़के आए होंगे उनके घर वाले लोग परेशान होंगे।
जो टीचर्स होंगे उनके घर वाले परेशान होंगे कि हमारे लड़के कहीं कुछ हो ना जाए। इन सब घटनाओं का एक पूरा निवारण होना चाहिए। ऐसा नहीं है कि यह घटना यहीं खत्म हो जाए। बहुत सारे मास्टरों की मतलब कुछ चीजें सही नहीं लगी यार। सब अपना-अपना ग्रुप बनाए हैं। 55-56 लोगों की लॉबी है।
वो अपना ग्रुप बना के यहां बात कर रहे हैं। एग्जैक्ट बात, एग्जैक्ट लोकेशन, एग्जैक्ट एजेंडा, एग्जैक्ट फ्यूचर प्लानिंग कुछ पता ही नहीं चल पा रही है। लड़के बस तीतर बितर है। उनको बड़ डर इस बात का है 13 अगस्त को अगर पेपर स्टार्ट होता है, SSC CGL का या स्टेनो का पेपर होता है तो हम पेपर देने जाने वाले हैं कि नहीं या कैंसिल होने वाला नहीं। क्या कुछ-कुछ आइडिया नहीं है यार।